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Radha and Krishna |
जो सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं और जो सबके प्राण हैं वही कृष्ण हैं । कृष्ण हैं पुरे विश्व की आत्मा। कृष्ण एक तत्व हैं जो हर प्राणी में वसे हैं । अगर किसी प्राणी का अस्तित्व है तो वो कृष्ण की वजह से है। अगर कृष्ण का अस्तित्व नहीं तो किसी प्राणी का अस्तित्व भी संभव नहीं। हम सभी प्राणियों का अस्तित्व कृष्ण के अस्तित्व से जुड़ा है।
जैसे सूर्य देवता पूर्व से उदित होते हैं और पश्चिम की ओर अस्त होते हैं ठीक उसी तरह से भगवान श्री कृष्ण का आविर्भाव होता है और अपनी लीला समाप्त करने के बाद वो अंतर्ध्यान हो जाते हैं। मनुष्य काल द्वारा नियंत्रित होता है इसलिए मनुष्य की आयु निर्धारित होती है परन्तु जैसे सूर्य देवता की कोई आयु नहीं होती वैसे ही भगवान श्री कृष्ण काल को नियंत्रण करते हैं और उनकी कोई आयु नहीं होती। उनको समझने के लिए उनका भक्त होना अनिवार्य है। भक्ति मार्ग सबसे उत्तम मार्ग है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्वैछा से हुआ इसलिए उनके जन्म को दिव्य जन्म माना जाता है। यह पहले से निर्धारित किया गया था की कौन उनके माता पिता होंगे।
भगवान श्री कृष्ण के आविर्भाव के बाद उन्होने दो कार्य किये। सर्वप्रथम भक्तों को सुरक्षा प्रदान करना और राक्षसों का संहार करना। राक्षसों का संहार करने का तात्पर्य है उनका उद्धार करना। उनके द्वारा मुक्ति पाना।
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Gopal |
भगवान श्री कृष्ण का स्वरुप सर्वश्रेस्ट है। भगवान श्री कृष्ण की रासलीला जो वृंदावन में मनाई जाती है वो सर्वश्रेस्ट मानी जाती है। रासलीला में प्रवेश के लिए गोपी भाव एवं गोपी देह जरुरी है । देवश्री नारद ने वृंदावन कुंड में स्नान किया जिससे उनको नारदी गोपी रूप प्राप्त हुआ एवं भगवान शिव ने भी वृंदावन कुंड में स्नान किया जिससे उनको गोपेश्वर महादेव का रूप प्राप्त हुआ। तब जाकर देवश्री नारद एवं भगवान शिव को रासलीला में प्रवेश मिला। व्रज गोपियाँ जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण जी की जिस तरह से अराधना एवं भक्ति की है वो है सर्वश्रेस्ट।भगवान श्री कृष्ण की गोपियों के संग रास नित्य है सर्वश्रेस्ट।
भगवान श्री विष्णु जी के एक हजार एक बार नाम जपने से जो पुण्य मिलता है वो पुण्य भगवान श्री राम जी के एक बार नाम जपने से मिलता है। भगवान श्री राम जी के तीन बार नाम जपने से जो पुण्य मिलता है वो पुण्य भगवान श्री कृष्ण जी के एक बार नाम जपने से मिलता है।भगवान श्री कृष्ण जी के एक बार नाम जपने का अर्थ होता है भगवान श्री विष्णु जी के तीन हज़ार बार नाम जपना। इसी कारण से श्री कृष्ण नाम सर्वश्रेस्ट है। कलियुग में मनुष्यों के उद्धार हेतु श्री चैतन्य महाप्रभु ने कृष्ण नाम प्रदान किया था।
पृथ्वी लोक की सुंदरियों से भी अधिक सुन्दर है स्वर्ग लोक की अप्सरायें। स्वर्ग लोक की अप्सराओं से भी अधिक सुन्दर है वैकुंठ लोक की देवियाँ। वैकुंठ लोक की सुंदरियों से भी अधिक सुन्दर है द्वारिका की देवियाँ। द्वारिका की सुंदरियों से भी अधिक सुन्दर है व्रज की गोपियाँ। राधा रानी गोपियों में है सबसे सुन्दर। राधा रानी से भी सुन्दर हैं भगवान श्री कृष्ण। उनके अलावा पुरे संसार में कोई सर्वगुण संपन्न एवं सुन्दर नहीं है। इसी कारण से श्री कृष्ण नाम सर्वश्रेस्ट है पुरे संसार में।
ऋषि मुनियों ने ब्रह्म जी से पूछा कौन है सबसे सर्वश्रेस्ट देवता। ब्रह्म जी ने कहा की श्री कृष्ण जी हैं सबसे सर्वश्रेस्ट देवता कारण मृत्यु भी उनसे डरती है। उनके तत्व को जान लेने से जीवन सफ़ल हो जाता है। वो पुरे संसार के पालनकर्ता हैं। उनके कारण ही सारा संसार कार्य करता है। उनका चिंतन करने से मनुष्य संसार से मुक्ति पाता है।
भगवान श्री कृष्ण हर पदार्थ में विद्यमान हैं और किसी विशेष कारण एवं विशिस्ट रूप में प्रकट होते हैं। भगवान श्री कृष्ण आदि ,मध्य एवं अंत हैं। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करने से भौतिक सुख की कामना का अंत होता है। मन संतुष्ट हो जाता है। कृष्ण नाम जपने से मनुष्य के कई जन्म के पाप धूल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनुष्य जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
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