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Wednesday, November 13, 2019

राम भक्त हनुमान

                                       

                                       राम भक्त हनुमान  


ज्योतिष गणना के अनुसार पवन पुत्र हनुमान का जन्म आज से करीब एक करोड़ पिच्यासी लाख अट्ठावन हज़ार एक्सो बारह वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा  मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र  और मेष लगन के योग में सवेरे छे वज्के तीन मिनट पर हुआ था। हनुमान की माता अंजना पूर्व जन्म में देव लोक की अप्सरा थी। वो पुंजिकस्थला नाम से जानी जाती थी। वो बहुत ही सुन्दर और चंचल थी। एक दिन उन्होंने एक तेजस्वी ऋषि के साथ अभद्रता की थी और इसी कारणवश ऋषि ने उन्हें श्राप दिया की वो वानर बन जाएगी। जब पुंजिकस्थला ने माफ़ी मांगी तो ऋषि ने कहा की उनका दूसरा रूप भी तेजस्वी होगा और साथ ही वो एक ऐसे पुत्र को जन्म देगी जिसकी कीर्ति पुरे संसार में होगी। पुंजिकस्थला से देवराज इंद्र बहुत प्रसन्न थे और उन्होंने वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा की वालपन में एक ऋषि ने उन्हें श्राप दिया और अगर हो सके तो वो उन्हें उस श्राप से मुक्त कर दे। देवराज इंद्रा ने कहा की उनको इस श्राप से मुक्ति के लिए धरती पर जन्म लेना होगा और जब शिव का अवतार जन्म लेगा तो उनको श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। फिर पुंजिकस्थला ने अनजन प्रदेश के राजा कुंजन के घर जन्म  लिया। उनका नाम रखा गया अंजना। अंजना का विवाह वानर राज केसरी से हुआ। अंजना ने बारह वर्ष तक शिव जी की तपस्या की और शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन हुआ और उन्होंने उनके गर्व से अवतार के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया। साथ ही पवन देव् ने भी अंजना को आशीर्वाद  दिया। हालांकि अंजना के पुत्र का नाम मारुती है लेकिन सूर्य को फल समझके पकड़ने के कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। हनुमान  भगवन शिव के गयारह रूद्र अवतार है। हनुमान ने राम रावण युद्ध में राम जी का साथ दिया। वो देवताओं में सबसे शक्तिशाली देवता माने जाते है। हनुमान जी को राम जी का आशीर्वाद है की वो चार युग के अमर है।
hanuman
हनुमान 


Saturday, October 5, 2019

Durga Puja

                                                       

   क्यों प्रसिद्ध है बंगाल मे दुर्गा पूजा 


दुर्गा पूजा बंगाल का बहुत ही जानामाना उत्सव है और यहां दुर्गा पूजा पंचमी से शुरू होती है। पूरे शहर को दुल्हन के समान सजाया जाता है। गली गली में पंडाल बनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते है और देर रात तक घूमने निकलते है।ऐसा माना जाता है की शादी के बाद जैसे लड़की अपने मायके आती है ठीक उसी तरह देवी दुर्गा अपने मायके पृथ्वी में नौ दिनों के लिए आती है। देवी दुर्गा के साथ देवी लक्ष्मी ,देवी सरस्वती ,कार्तिक और गणेश भी होते है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा को हर तरह से प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है की जहाँ दुर्गा पूजा की शुरुआत  होती है वहां पूजा बंद नहीं करते क्योंकि  इससे देवी का कोप पडता है। दुर्गा देवी की पूजा एकसौ आठ फूलों की मालाओं से की जाती है। 
WORSHIP DEVI DUGA
देवी दुर्गा 


Monday, September 23, 2019

What is the importance of Bhagwat Gita

भगवत गीता दुनिया का सबसे बड़ा ग्रन्थ माना जाता है। धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने एकादशी के दिन अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता का ज्ञान दिया था। गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया था। तब से  हर साल गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। वर्तमान समय में गीता ही ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। अभी के समय में गीता को सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। गीता के श्लोक ज्यादा पड़े जा रहे हैं और साथ ही इसकी वख्या मानव जीवन के हर पहलू से की जा रही है। गीता के अठारह अध्याय हैं ।  गीता के हर श्लोकों में जीवन के हर समस्या का समाधान है जो कभी न कभी मानव जीवन में आते हैं।

भगवत गीता भारतवर्ष की संस्कृति का हिस्सा  है जो की सबसे पुराने ग्रन्थों  में से एक है। हिन्दू शास्त्र में गीता का सबसे प्रमुख स्थान है। गीता के अठारह  पर्व एवं सातसौ श्लोक हैं। इस ग्रन्थ को लिखने वाले ऋषि वेद व्यास हैं। गीता भारतवर्ष की सबसे लोकप्रिय ग्रन्थ है। यही कारण है की इसकी लोकप्रियता न केवल भारतवर्ष में बल्कि पुरे संसार में है।

Lord Krishna gives knowledge to Arjun at Kuruchetra battlefield
Lord Krishna and Arjun

Why Krishna Name is famous in whole world

Krishna meets Radha and plaing his flute
Radha and Krishna


जो सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं  और जो सबके प्राण हैं  वही कृष्ण हैं । कृष्ण हैं पुरे विश्व की आत्मा। कृष्ण एक तत्व हैं  जो हर प्राणी में वसे हैं । अगर किसी प्राणी का अस्तित्व है तो वो कृष्ण की वजह से है। अगर कृष्ण का अस्तित्व नहीं तो किसी प्राणी का अस्तित्व भी संभव नहीं। हम सभी प्राणियों का अस्तित्व कृष्ण के अस्तित्व से जुड़ा है।

जैसे सूर्य देवता पूर्व से उदित होते हैं और पश्चिम की ओर अस्त होते हैं  ठीक उसी तरह से भगवान श्री कृष्ण का आविर्भाव होता है और अपनी लीला समाप्त करने के बाद वो अंतर्ध्यान हो जाते हैं। मनुष्य काल द्वारा नियंत्रित होता है इसलिए मनुष्य की आयु निर्धारित होती है परन्तु जैसे सूर्य देवता की कोई आयु नहीं होती वैसे ही भगवान श्री कृष्ण काल को नियंत्रण करते हैं और उनकी कोई आयु नहीं होती। उनको समझने के लिए उनका भक्त होना अनिवार्य है। भक्ति मार्ग सबसे उत्तम मार्ग है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्वैछा से हुआ इसलिए उनके जन्म को दिव्य जन्म माना जाता है। यह पहले से निर्धारित किया गया था की कौन उनके माता पिता होंगे।