राम भक्त हनुमान
ज्योतिष गणना के अनुसार पवन पुत्र हनुमान का जन्म आज से करीब एक करोड़ पिच्यासी लाख अट्ठावन हज़ार एक्सो बारह वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लगन के योग में सवेरे छे वज्के तीन मिनट पर हुआ था। हनुमान की माता अंजना पूर्व जन्म में देव लोक की अप्सरा थी। वो पुंजिकस्थला नाम से जानी जाती थी। वो बहुत ही सुन्दर और चंचल थी। एक दिन उन्होंने एक तेजस्वी ऋषि के साथ अभद्रता की थी और इसी कारणवश ऋषि ने उन्हें श्राप दिया की वो वानर बन जाएगी। जब पुंजिकस्थला ने माफ़ी मांगी तो ऋषि ने कहा की उनका दूसरा रूप भी तेजस्वी होगा और साथ ही वो एक ऐसे पुत्र को जन्म देगी जिसकी कीर्ति पुरे संसार में होगी। पुंजिकस्थला से देवराज इंद्र बहुत प्रसन्न थे और उन्होंने वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा की वालपन में एक ऋषि ने उन्हें श्राप दिया और अगर हो सके तो वो उन्हें उस श्राप से मुक्त कर दे। देवराज इंद्रा ने कहा की उनको इस श्राप से मुक्ति के लिए धरती पर जन्म लेना होगा और जब शिव का अवतार जन्म लेगा तो उनको श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। फिर पुंजिकस्थला ने अनजन प्रदेश के राजा कुंजन के घर जन्म लिया। उनका नाम रखा गया अंजना। अंजना का विवाह वानर राज केसरी से हुआ। अंजना ने बारह वर्ष तक शिव जी की तपस्या की और शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन हुआ और उन्होंने उनके गर्व से अवतार के रूप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया। साथ ही पवन देव् ने भी अंजना को आशीर्वाद दिया। हालांकि अंजना के पुत्र का नाम मारुती है लेकिन सूर्य को फल समझके पकड़ने के कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। हनुमान भगवन शिव के गयारह रूद्र अवतार है। हनुमान ने राम रावण युद्ध में राम जी का साथ दिया। वो देवताओं में सबसे शक्तिशाली देवता माने जाते है। हनुमान जी को राम जी का आशीर्वाद है की वो चार युग के अमर है।
हनुमान |