Monday, September 23, 2019

What is the importance of Bhagwat Gita

भगवत गीता दुनिया का सबसे बड़ा ग्रन्थ माना जाता है। धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने एकादशी के दिन अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता का ज्ञान दिया था। गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया था। तब से  हर साल गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। वर्तमान समय में गीता ही ऐसा ग्रन्थ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। अभी के समय में गीता को सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। गीता के श्लोक ज्यादा पड़े जा रहे हैं और साथ ही इसकी वख्या मानव जीवन के हर पहलू से की जा रही है। गीता के अठारह अध्याय हैं ।  गीता के हर श्लोकों में जीवन के हर समस्या का समाधान है जो कभी न कभी मानव जीवन में आते हैं।

भगवत गीता भारतवर्ष की संस्कृति का हिस्सा  है जो की सबसे पुराने ग्रन्थों  में से एक है। हिन्दू शास्त्र में गीता का सबसे प्रमुख स्थान है। गीता के अठारह  पर्व एवं सातसौ श्लोक हैं। इस ग्रन्थ को लिखने वाले ऋषि वेद व्यास हैं। गीता भारतवर्ष की सबसे लोकप्रिय ग्रन्थ है। यही कारण है की इसकी लोकप्रियता न केवल भारतवर्ष में बल्कि पुरे संसार में है।

Lord Krishna gives knowledge to Arjun at Kuruchetra battlefield
Lord Krishna and Arjun



गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ये ज्ञान दिया की मनुष्य को अपना काम बिना किसी फल की कामना से करनी चाहिए। जो मनुष्य बिना किसी फल की सोच के अपना काम सही तरह से करता है परमात्मा उसे उसका फल अवस्य ही देता है। बिना कामना के किया गया काम सही होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन मरण एवं आत्मा के बारे में बताया। उन्होंने अर्जुन से कहा की आत्मा मरती नहीं है।  आत्मा अमर है। मनुष्य का शरीर मरता है। जिस तरह मनुष्य पुराने वस्त्र छोड़ कर नए वस्त्र धारण करता है उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर छोड़ के नया शरीर धारण करती  है। आत्मा को न अग्नि जला सकती है और न कोई शस्त्र काट सकता है। न वायु उड़ा सकती है और न ही जल गला सकती है।

अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा की वो किसका अनुसरण करें और सारे देवी देवता किसका अनुसरण करते हैं। तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा की जो मनुष्य मुझे जिस इच्छा से पुकारता है मै उसे उसी के अनुरूप उसकी कामना पूरी करता हूँ। सभी मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ये कहते हैं की जो मनुष्य जैसा दूसरों के साथ करता है उसके साथ भी वैसा ही होता है।

जो मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनको पुकारते हैं उन्हें भगवान श्री कृष्ण मोक्ष की प्राप्ति प्रदान करते हैं। जो मनुष्य किसी ओर कामना से उनका स्मरण करते हैं उनको भगवान श्री कृष्ण उनकी कामना के अनुसार फल प्रदान करते हैं। कंस ने सदा भगवान श्री कृष्ण को मृत्यु के रूप में देखा था इसलिए उसे मृत्यु प्राप्त हुई थी। हमें भगवान श्री कृष्ण को उस रूप में याद करना चाहिए जिस रूप में हम उन्हें पाना चाहते हैं।

भगवत गीता के अनुसार हमें अहंकार का त्याग करना चहिये। अहंकार के रहने से ज्ञान का उदय नहीं होता। गुरु की कृपा नहीं होती और साथ ही ज्ञान ग्रहण की क्षमता नहीं होती। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की जो मनुष्य मुझे जिस रूप में मानते हैं में उन्हें उसी रूप में दर्शन देता हूँ। भारत में गीता का सर्वोपरि स्थान है। विदेशो में भी इसका स्थान सर्वोपरि है। आज का मनुष गीता का अनुसरण करके अपने जीवन में वदलाव  ला सकता है। भगवत गीता वेदों का सार है। भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता के महत्व को अपने मुख से कहा है। गीता मनुष्य जाती के उद्धार के लिए है।  जो मनुष्य इसे पढ़ेगा या सुनेगा उसे मोक्ष प्राप्त होगा। इससे सारे पाप धूल जाते हैं।


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