क्यों प्रसिद्ध है बंगाल मे दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा बंगाल का बहुत ही जानामाना उत्सव है और यहां दुर्गा पूजा पंचमी से शुरू होती है। पूरे शहर को दुल्हन के समान सजाया जाता है। गली गली में पंडाल बनाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते है और देर रात तक घूमने निकलते है।ऐसा माना जाता है की शादी के बाद जैसे लड़की अपने मायके आती है ठीक उसी तरह देवी दुर्गा अपने मायके पृथ्वी में नौ दिनों के लिए आती है। देवी दुर्गा के साथ देवी लक्ष्मी ,देवी सरस्वती ,कार्तिक और गणेश भी होते है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा को हर तरह से प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है की जहाँ दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है वहां पूजा बंद नहीं करते क्योंकि इससे देवी का कोप पडता है। दुर्गा देवी की पूजा एकसौ आठ फूलों की मालाओं से की जाती है।
![DEVI DURGA WORSHIP DEVI DUGA](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhsZb-DEY1rO_rKwoUf2xsxdKjkP8NvisOULLrHE4RfrHVIjtWaMdKsHk9lVowvvshiSDJcoSkB3RioM4GCgUS_eRKHO-T_u-r_6tBam6piJOsoM_T33QT_ry83PlAEEp8XyIWVV-TSN80X/s200/Aarti+Utaaru.gif) |
देवी दुर्गा |
दुर्गा पूजा का महत्त्व देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध का प्रतिक है जिसमें देवी दुर्गा ने महिषासुर को परास्त किया और ये सच्चाई की बुराई पर जीत है। इसी कारण से दुर्गापूजा ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाई जाती है। महालया के दिन देवी दुर्गा पृथ्वी में आती है और सप्तमी के दिन केले की पेड़ की पूजा होती है। कुमारी पूजा भी बंगाल में की जाती है जो की नौ दिन चलती है और कन्याओं को देवी के समान पूजा जाता है। स्वामी विवेक आनंद ने इसकी शुरुआत बेलुड़ मठ से की थी। अष्ठमी का बिशेष महत्व है। इस दिन बिना कुछ खाये फूलों से देवी दुर्गा को अंजली दी जाती है और साथ ही देवी की पूजा होती है। लोग ढोल बजाकर पूजा का आनंद लेते है। विजय दशमी के दिन लोग देवी को सिंदूर लगाते है और साथ ही आपस में सिंदूर खेलते है और देवी दुर्गा को विदाई दी जाती है इसी उम्मीद के साथ की देवी फिर अगले साल आयेंगी।
![DEVI DURGA DEVI DURGA RUP](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhSd9DbesjCxow_pt8y9ahGUtCrNiTXnxrcolLin94-KFdU99kStCqUcmMOp9R5Fep_HpLS9ihfBdeK5ksue1abvPvd-YSWhF8JCippmXhYCL2DvckaTGIMILhB3f5ceqNB0yDtxUH-qdgn/s200/DURGA.jpg) |
देवी दुर्गा |
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